Poem

पथ की जलती हुई भूमि पर
मैंने देखा ध्यानमग्न बूढ़े गिरगिट को
(गिरगिट यानी एक बूँद घड़ियाल की)
खड़ा, देह को ताने पहने हरा कोट,
गरदन पर कालर की उठान,
सब ठीक-ठाक।
ऐसा लगता था, ज्यों कोई पादड़ी खड़ा हो,
या कोई बूढ़ा प्राध्यापक
खड़ा-खड़ा कुछ सोच रहा हो
निज में डूबा हुआ भूल कर सारे जग को।

रामधारी सिंह दिनकर

Author Bio

रामधारी सिंह 'दिनकर' हिन्दी के एक प्रमुख लेखक, कवि व निबन्धकार थे। वे आधुनिक युग के श्रेष्ठ वीर रस के कवि के रूप में स्थापित हैं। राष्ट्रवाद अथवा राष्ट्रीयता को

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