Poem

जहाँ मनुज का मन रहस्य में खो जाये,
जहाँ लीन अपने भीतर नर हो जाये,
भूल जाय जन जहाँ स्वकीय इयत्ता को,
जहाँ पहुँच नर छुए अगोचर सत्ता को।
धर्मालय है वही स्थान, वह हो चाहे सुनसान में,
या मन्दिर-मस्जिद में अथवा जूते की दूकान में।

रामधारी सिंह दिनकर

Author Bio

रामधारी सिंह 'दिनकर' हिन्दी के एक प्रमुख लेखक, कवि व निबन्धकार थे। वे आधुनिक युग के श्रेष्ठ वीर रस के कवि के रूप में स्थापित हैं। राष्ट्रवाद अथवा राष्ट्रीयता को

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