Poem

राम, तुम्हारा नाम

रामधारी सिंह दिनकर

राम, तुम्हारा नाम कंठ में रहे,
हृदय, जो कुछ भेजो, वह सहे,
दुख से त्राण नहीं माँगूँ।

माँगू केवल शक्ति दुख सहने की,
दुर्दिन को भी मान तुम्हारी दया
अकातर ध्यानमग्न रहने की।

देख तुम्हारे मृत्यु दूत को डरूँ नहीं,
न्योछावर होने में दुविधा करूँ नहीं।
तुम चाहो, दूँ वही,
कृपण हौ प्राण नहीं माँगूँ।

रामधारी सिंह दिनकर

Author Bio

रामधारी सिंह 'दिनकर' हिन्दी के एक प्रमुख लेखक, कवि व निबन्धकार थे। वे आधुनिक युग के श्रेष्ठ वीर रस के कवि के रूप में स्थापित हैं। राष्ट्रवाद अथवा राष्ट्रीयता को

More

This post views is 16

Post Topics

Total Posts

403 Published Posts