Full Poem

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संसार पूजता जिन्हें तिलक
रामधारी सिंह दिनकर
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सरहद के पार से
रामधारी सिंह दिनकर
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जवानी का झण्डा
रामधारी सिंह दिनकर
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बटोही, धीरे-धीरे गा
रामधारी सिंह दिनकर
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रात यों कहने लगा मुझसे गगन का चाँद
रामधारी सिंह दिनकर
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जा रही देवता से मिलने?
रामधारी सिंह दिनकर
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अन्तिम मनुष्य
रामधारी सिंह दिनकर
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हे मेरे स्वदेश!
रामधारी सिंह दिनकर
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अतीत के द्वार पर
रामधारी सिंह दिनकर
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कलिंग-विजय
रामधारी सिंह दिनकर
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प्रतिकूल
रामधारी सिंह दिनकर
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आग की भीख
रामधारी सिंह दिनकर
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दिल्ली और मास्को
रामधारी सिंह दिनकर
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शक्ति या सौंदर्य
रामधारी सिंह दिनकर
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बल या विवेक
रामधारी सिंह दिनकर
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अचेतन मृत्ति, अचेतन शिला
रामधारी सिंह दिनकर
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तिमिर में स्वर के बाले दीप आज फिर आता है कोई
रामधारी सिंह दिनकर
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ओ अशेष! निःशेष बीन का एक तार था मैं ही
रामधारी सिंह दिनकर
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वह प्रदीप जो दीख रहा है झिलमिल दूर नहीं है
रामधारी सिंह दिनकर
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साथी
रामधारी सिंह दिनकर
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